शनिवार, 30 सितंबर 2017

महात्मा गांधी --विशेष पोस्ट


महात्मा गांधी  से  जुडी सभी जानकारी 
                                                      (विडियो,एनीमेशन,प्रश्न-उत्तर,..आदि)
                           

नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें


गाँधीजी का बचपन

गांधीजी का जीवन

गोखले के साथ

गांधीजी और बच्चा

महात्मा गांधी से साक्षात्कार (शब्द के साथ)

गाँधीजी के अनोखे चित्र

महात्मा गांधी -कुछ विडियो झलक

१९३१ अगस्त २

महात्मा गाँधी के अनमोल विचार

महात्मा गाँधी: सम्पूर्ण जीवन परिचय ,भाग - 1

महात्मा गाँधी: सम्पूर्ण जीवन परिचय ,भाग - 2.

गांधीजी के बारे में पूछे जाने वाले सभी

गांधीजी-प्रश्नोत्तरी
गांधीजी प्रश्नोत्तरी -2
गांधीजी प्रश्नोत्तरी-3

महात्मा गांधी (हिंदी)

महात्मा गाँधी जयंती पर भाषण | Mahatma Gandhi Jayanti Speech Hindi

साबरमती के संत --गांधीजी (एनिमेटेड सोंग)

हिंदी भाषण के लिए वेब साईट

रविवार, 24 सितंबर 2017

दिनाचरण

खत / पत्र /चिट्टी -गुलमोहर का पेड़














प्रकृति पर भाषण

प्रकृति पर भाषण

हम सभी किसी न किसी तरीकों से प्रकृति को प्यार करते हैं, है ना? उदाहरण के लिए कुछ लोग इसे इसकी हरी भरी हरियाली के लिए प्यार करते हैं, कुछ लुभावनी सुंदरता के लिए और कुछ इसे उन उपहारों के लिए पसंद करते हैं जो प्रकृति ने मानव जाति को दिए हैं जैसे जड़ी-बूटियां आदि। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो प्रकृति हमें बहुत सी चीज़ें देती है ताकि हम एक पूर्ण जीवन जी सकें। इसलिए यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। विशेष रूप से छात्रों को प्रकृति पर स्पीच या जागरूकता बढ़ाने के लिए स्पीच देने के लिए कहा जाता है। वास्तव में कभी-कभी विभिन्न संगठन जो प्रकृति की सुरक्षा में बारीकी से काम करते हैं उन्हें उस पर चर्चा करनी होती है। इस स्थिति में हमारी स्पीच उनकी मदद करती है। दोनों, प्रकृति पर छोटी स्पीच और प्रकृति पर लम्बी स्पीच, को काफी सोच-विचार के साथ लिखा गया है ताकि छात्रों और अन्य लोगों को अगर प्रकृति पर अच्छी स्पीचों की आवश्यकता हो तो उन्हें इसे समझने में आसानी हो। इसलिए इन स्पीचों को पढ़िए, समझिए और इस विषय पर अपनी जानकारी को और बेहतर बनाईए।


प्रकृति पर स्पीच - 1
प्रकृति पर भाषण                           (Speech on Nature in Hindi)

आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों - आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!
सुबह की सभा खत्म होने को है। इस स्कूल के प्रिंसिपल के रूप में मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि मैं मेरे छात्रों के साथ इंटरैक्टिव सत्र आयोजित करूँ। इसका कारण यह है कि मुझे आपके साथ बातचीत करने और हमारे विचारों को आदान-प्रदान करने का मौका नहीं मिल रहा है। आज आप सभी को संबोधित करने का कारण प्रकृति पर स्पीच देने और हमारे जीवन में प्रकृति की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालना है। कुछ समय से मैं मनुष्य को अपने फायदे के लिए प्रकृति को नष्ट करने और इसे अपनी ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल करने की बात सुनकर परेशान हूँ। प्रकृति को नष्ट न करने या इसे विभिन्न बाहरी खतरों से बचाने की बजाए - हम केवल संसाधनों और प्रकृति के उपहारों का शोषण कर रहे हैं। क्या हम हमारी जगह सही है? मैं इस प्रश्न को उन सभी बच्चों के लिए उठाऊंगा जो निकट भविष्य में हमारी धरती मां को बचाने की ज़िम्मेदारी उठाने जा रहे हैं।
हमारे मनुष्य जीवन की शुरुआत इस पृथ्वी ग्रह पर हुई और तब से हमारी "धरती माँ" को विनाश और दुर्व्यवहार जैसे खतरों का सामना करना पड़ा है। मनुष्यों की निहित स्वार्थी प्रकृति के कारण सुंदर जंगलों को नष्ट कर दिया गया है, नदियों को प्रदूषित किया गया और बड़े खुले मैदानों को कारखानों या अन्य स्थापत्य विकास के लिए उपयोग में लाया गया है। मनुष्य की अवैध गतिविधियों में कई गतिविधियाँ मुख्य है जैसे जानवरों का शिकार करने, पेड़ों को काटने, वातावरण में जहरीले गैसों को जारी करने, प्रदूषित नदियों आदि। हमें यह पता ही नहीं है कि हम धरती माँ के क्रोध का आह्वान कर रहे हैं जिससे हमारे अस्तित्व को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। हमारी धरती सचमुच विनाशकारी गतिविधियों का सामना कर रही है जिसके कारण नदी सूखती जा रही हैं, पौधे मर रहे हैं और स्तनधारियों की प्रजाति विलुप्त हो गई है। एक और गंभीर समस्या है जिससे आज के समय में दुनिया जूझ रही है, 'ग्लोबल वार्मिंग', जिसका हमारे पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री स्तर में बढ़ोतरी और तीव्र गति से जलवायु परिवर्तन। इसलिए हम सभी को हमारी गतिविधियों पर निगरानी रखनी चाहिए और ऐसी स्थितियों को नियंत्रण में लाने में मदद करनी चाहिए।
अब सवाल यह उठता है कि हम अपनी गतिविधियों पर कैसे निगरानी रखें? इसके लिए आपको ज्यादा ज़ोर नहीं लगाना। उदाहरण के लिए पानी एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। इसलिए हमें पानी की हर बूंद को बचाना चाहिए, उपयोग में न होने पर नल को बंद करना चाहिए या फिर फ्लश या बारिश के पानी का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इन सभी को ना करने से पानी की अत्यधिक बर्बादी होती है। इसके अलावा नदियों में या नालियों कचरा नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि इन गतिविधियों से हमारे जल निकाय प्रदूषित होते हैं। जहां तक ​​हमारे पौधों की सुरक्षा का संबंध है रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें और घरेलू उपचार या अन्य पर्यावरण के अनुकूल साधनों का प्रयोग करें। इसके अलावा कचरे के डिब्बे में अपने सड़े हुए फल, सब्जियां, बचा हुआ भोजन, अंडा के छिलके ना फेंके और उन्हें अपने घर के बगीचे के लिए जैविक खाद बनाने में इस्तेमाल करें। विभिन्न क्रियाएँ जैसे खाद बनाने के लिए उपयोगी चीजों के अपशिष्ट उत्पाद रीसाइक्लिंग में बहुत मदद करते हैं।
इसी तरह अपनी ऊर्जा की खपत को बचाईए। अगर कोई कमरे में नहीं है तो पावर बटन को बंद कर दें। जब सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया जा सकता है तो निजी वाहनों का उपयोग न करें। वास्तव में आप थोड़ी दूरी के लिए साइकिल का उपयोग भी कर सकते हैं और गैसों की हानिकारक रिहाई से अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। इस प्रकार इन सरल प्रभावी उपायों के माध्यम से आप अपनी धरती मां को प्रकृति से बचाने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।
अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहूँगा कि इस जानकारी को अपने आप में न रखें और इस संदेश को चारों ओर फैलाएं ताकि हर व्यक्ति एक जिम्मेदार नागरिक बनकर अपने ग्रह को बचाने में मदद करें।
धन्यवाद।

प्रकृति पर स्पीच – 2

सभी को नमस्कार! मैं दिल से हमारे समाज के मीटिंग रूम में आपका स्वागत करता हूं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह बैठक हमारे समाज से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और हमारे समाज के सभी सदस्यों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए उन मुद्दों को संशोधित करने के लिए साप्ताहिक रूप से आयोजित की जाती है। हमारे समाज के एक समूह के सचिव के रूप में हमारे समाज की भलाई के लिए यह मेरी ज़िम्मेदारी भी बन जाती है। हालांकि हाल के दिनों में मुझे कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में पता चला जिसने मुझे अस्थिर कर दिया। मेरा इस तरह के लोगों के साथ संपर्क हुआ जिन्हें, इस तथ्य पर जोर देने के बावजूद कि स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण में और संतुलित तथा निरंतर जीवन प्रदान करने में प्रकृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, दुर्भाग्य से प्रकृति की रक्षा के कारणों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है।
तो यहाँ मैं आज आप सबके सामने प्रकृति पर एक स्पीच देने जा रहा हूं ताकि हम अपने आप को सभी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में अवगत करा सकें और न सिर्फ हमारे आस-पास के स्थान बल्कि हमारी पूरी धरती माँ को रहने की अनुकूल जगह बना सकें। हम सभी को यह समझना चाहिए कि पर्यावरण हमारे जीवन का झरना है। यह न केवल मानव जीवन को निर्देशित करता है बल्कि जीवित प्रजातियों और उनकी सभी गतिविधियों के जीवन-स्तर, विकास और प्रगति को भी निर्धारित करता है। हमारे सामाजिक जीवन की गुणवत्ता का हमारे वातावरण की गुणवत्ता के साथ सीधे संबंध है।
यहां तक ​​कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने भी हमारी ज़िंदगी पर बहुत अधिक प्रभाव डाला है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवित प्रजातियों के रूप में हमें अपने जीवन के लिए हमारे प्राकृतिक परिवेश के अनुकूल होने की जरूरत है। मानव सभ्यता पारिस्थितिकी तंत्र में निहित होती है और हमारे कार्य सीधे इस प्रणाली को प्रभावित करते हैं। तकनीकी उन्नति की सहायता से इंसान कुछ हद तक अपने पर्यावरण को नियंत्रित करने की क्षमता से निपुण हो गया है लेकिन इसका अनुचित उपयोग पारिस्थितिक संकट को जन्म देता है। प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए अनौपचारिक तकनीकी हस्तक्षेप ने विभिन्न तरीकों से अपना क्रोध दर्शाया है जैसे सुनामी, बाढ़, सूखा, गर्म हवाएं, जंगलों में आग आदि।
प्राकृतिक आपदाओं के अलावा पर्यावरण को पहुंचाई क्षति अपरिवर्तनीय है जैसे भूमिगत जल में कमी, ताज़ा पीने के पानी की भारी कमी, और जंगलों का कम होना, मिट्टी और प्रवाल भित्तियों का बहना, पौधों का गायब होना और जीवों का नुकसान, तेजी से जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने के साथ-साथ मत्स्य पालन में असफलता, जल और वायु का बढ़ता प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि, ओजोन परत में छेद का बढ़ना और समुद्र, नदियों और भूमिगत संसाधनों में गन्दगी के माध्यम से जहर मिलना।
प्राकृतिक संसाधनों के इस निरंतर कमी से हम अपने खुद के जीवन को बड़े संकट में डाल रहे हैं और वह दिन दूर नहीं होगा जब पीने का पानी, ताजी हवा, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और पृथ्वी पर मौजूद उपरी सतह की मिट्टी हमारी भविष्य की पीढ़ी के इस्तेमाल के लिए नहीं बचेगी। इसलिए यह सही समय है कि हम अपने पर्यावरण पर घनिष्ठ नजर रखें और इसे संभावित खतरों, विशेष रूप से शोषक मानव गतिविधियों से बचाएं।
अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि प्रकृति से प्यार करिए। इसकी मौजूदगी और चीजें जो हमें बहुतायत में प्रदान करती है उसके महत्व को पहचानिए।
धन्यवाद।

प्रकृति पर स्पीच – 3

आदरणीय प्रिंसिपल, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय मित्रों,
आज इस विशेष सभा को, प्रकृति दिवस कहा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण दिन मनाने के लिए, बुलाया गया है। आज हम सब हमारे आसपास पेड़ों को लगाने जा रहे हैं लेकिन इससे पहले मैं प्रकृति के संबंध में एक स्पीच देना चाहूंगा। हम सभी जानते हैं कि हमारी उचित जलवायु और अन्य शारीरिक विशेषताओं के कारण जीवित प्राणियों के लिए जीवन यापन हेतु पृथ्वी सबसे अच्छी जगह है। हमारी धरती का जन्म लगभग 4.54 बिलियन साल पहले हुआ था और उस समय इसे कई विध्वंसकारी टकराव और विनाशकारी धमाकों का सामना करना पड़ा। उस समय से लेकर अब तक प्रकृति हर जीवित प्राणी को रहने के लिए कई चीजें प्रदान कर रही है। यह हमारे अस्तित्व के लिए भोजन, आश्रय, वायु, पानी और कई अन्य चीजें उपलब्ध कराती है।
जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए पृथ्वी की प्रकृति और जलवायु भगवान की तरफ से एक उपहार है। धरती पर प्रकृति में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों, पहाड़ों, पठारों, नदियों, महासागरों, पेड़ों, पौधों आदि जैसी कई विशेषताएं हैं। हम सभी हमारे जन्म के बाद से आज तक उनका उपयोग कर रहे हैं। प्रकृति सिकुड़ रही है और हमारी ज़रूरतें दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं।
धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों के अस्तित्व के लिए प्रकृति ही एकमात्र कारण है। हम सभी जानते हैं कि आज पृथ्वी की स्थिति अच्छी नहीं है। हम सब प्रकृति के घटकों का उपयोग कर रहे हैं लेकिन प्रकृति की जरूरतों में हमें कोई दिलचस्पी नहीं है। हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम प्रकृति को दिन-प्रतिदिन बर्बाद कर रहे हैं। आज प्रकृति की खराब स्थिति के लिए कई कारण हैं - जैसे ईंधन, सीएफएल, जनसंख्या बढ़ना, वनों की कटाई आदि इसके अलावा और भी कई गलत चीजें हैं जिनका ज्यादातर लोग अपने रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं जैसे उपयोग में ना होने के बावजूद बल्ब को बंद ना करना, पानी को इस्तेमाल ना करने की स्थिति में नल को बंद ना करना। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम में से काफी लोगों ने इन समस्याओं की ओर लापरवाही भरा रूख दिखाया है। प्रकृति के प्रति हमारी जीवन शैली और स्वार्थ की वजह से पूरी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है। हमने बहुत अधिक प्रकृति के घटकों का उपयोग किया है जिनमें से कई घटक आज विलुप्त हो चुके हैं।
आज हमारी लापरवाही और स्वार्थ की वजह से धरती पर कई जगहों पर प्रकृति के घटकों की कमी आ गई है। पीने के और अन्य उद्देश्यों के लिए पानी की कमी, ताजी हवा की कमी आदि के पीछे एकमात्र कारण हमारी स्वार्थी व्यवहार है। अगर हम प्रकृति के प्रति हमारे स्वार्थी व्यवहार को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी पृथ्वी के अंत का कारण बन सकती है। हमें और हमारी पृथ्वी को विनाश से बचाने का एकमात्र तरीका है प्रौद्योगिकी का अत्यधिक उपयोग करने की ज़रूरत को बदलना और प्रकृति के संरक्षण के प्रति हमारे कर्तव्य को समझना।
आइए हम प्रतिज्ञा लें कि आज से हम अपनी प्रकृति मां की मदद करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे और यह वैकल्पिक नहीं है। यह हमारा कर्तव्य है क्योंकि अगर हम प्रकृति में रहना चाहते हैं तो हमें कल पर कुछ ना टालने की बजाए आज ही सब कुछ करना पड़ेगा।
इसी के साथ मैं अपनी स्पीच खत्म करता हूं और वृक्षारोपण के कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए हमारी सम्माननीय प्रिंसिपल मैम से आग्रह करता हूं।
आपका दिन शुभ हो!
धन्यवाद।

प्रकृति पर स्पीच – 4

सुप्रभात देवियों और सज्जनों!
आज "प्रकृति दिवस" ​​के इस विशेष अवसर पर हमारे संगठन "मेक इट ग्रीन आर्गेनाइजेशन" ने इस क्षेत्र में इस अद्भुत समारोह का आयोजन किया है जो बेहद सराहनीय है और मैं यहां सभी लोगों को एकत्रित होने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। आज का दिन बहुत ही खूबसूरत है जहाँ हमें आज हमारे द्वारा प्रयोग की जा रही सभी चीजें प्रदान करने के लिए हमारी प्रकृति रुपी माँ का शुक्रिया अदा करना चाहिए और हमारे भविष्य में अधिक से अधिक पेड़ लगाकर और उनकी देखभाल करने का संकल्प लेना चाहिए। हम सभी प्रकृति में रहने और उन चीजों का उपयोग करके आनंद ले रहे हैं जो हमें प्रकृति से मिली है। सुबह हम सूर्योदय के सुंदर दृश्यों को देखते हैं और रात को हम खूबसूरत चाँद देखते हैं। अगर हम प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं और आने वाले पीढ़ी को भी इसे लंबी अवधि तक उपलब्ध करवाना चाहते हैं तो हमें इसके संरक्षण के लिए कुछ करना होगा। प्रकृति को हरा-भरा रखना और उसे नुकसान पहुंचाने से रोकना हमारा कर्तव्य है। अगर हम प्रकृति के उत्पादों जैसे फलों, सब्जियों आदि का उपयोग कर रहे हैं तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन चीजों की हमारी जरूरतें प्रकृति के विलुप्त होने के बाद नहीं बचेगी।
पृथ्वी को कई जगहों पर पर्यावरण का असंतुलन जैसे सूखा, बाढ़, भूस्खलन, ग्लेशियरों का पिघलना आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसका मुख्य कारण है हमारे द्वारा प्रकृति का अत्यधिक उपयोग। इन समस्याओं का निर्माता मनुष्य और उसकी अनावश्यक आवश्यकताएं हैं। हम सब हमारे व्यस्त जीवन में व्यस्त हैं और भूल जाते हैं कि हम इस दुनिया में प्रकृति के कारण ही जीवित हैं। हम प्रकृति के उत्पादों का उपयोग करना नहीं भूलते हैं लेकिन हम प्रकृति के संरक्षण के लिए कुछ करना भूल जाते हैं। इस दुनिया में प्रकृति के बिना कुछ भी संभव नहीं है और हमें उसके संरक्षण के लिए कुछ करना होगा।
प्रकृति के संरक्षण के लिए कई चीजें हैं। कम बारिश के कारण कई जगहों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है और इस समस्या से निपटने के लिए हम वर्षा जल संचयन और पानी का सीमित उपयोग कर सकते हैं। ईंधन, एचसीएल, सीएफएल, औद्योगिकीकरण, बांधों के निर्माण आदि के कारण ग्लेशियरों के पिघलने, ऑक्सीजन (O2) की कमी और हवा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की बढ़ती मात्रा जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। इन समस्याओं के लिए कई समाधान हैं जैसे पुनर्नवीनीकरण, ईंधन के सीमित उपयोग के माध्यम से कार पूलिंग, बिजली का सीमित उपयोग, पर्यावरण के अनुकूल गैजेट आदि का उपयोग करना। इन सभी समाधानों के बल पर ही हम अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए उचित कदम उठा सकते हैं। दुनिया भर के कई स्थानों में इन समाधानों को पारिस्थितिक समस्याओं का उपाय करने के लिए उपयोग किया जाता है। हमें अपने लिए यह करना है क्योंकि हमारी प्रकृति हमारे अस्तित्व का कारण है और हमें प्रकृति के विलुप्त होने का कारण नहीं बनना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो यह हमें हमारे सर्वनाश की ओर ले जाएगा।
इन पारिस्थितिक समस्याओं के अनन्त समाधान हैं और अब यह हमारे हाथ में है कि क्या हम जीवित रहकर प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं या हम इस दुनिया से विलुप्त हो जाना चाहते हैं।
इस समय मैं अपनी स्पीच के निष्कर्ष पर पहुंचना चाहूंगा तथा हमारे समारोह के आयोजकों और आप सभी को इस दिन को सफल बनाने के लिए विशेष धन्यवाद देना चाहूंगा। अब मैं अपने सम्माननीय मैनेजर से आग्रह करता हूँ कि वे आप सभी को संबोधित करे।
आप सभी का दिन शुभ हो।
धन्यवाद

Source:http://www.hindikiduniya.com

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

मेरा जीवन---सुभद्राकुमारी चौहान

Mera Jeevan ( मेरा जीवन ) - Subhadra Kumari Chauhan

तब याद तुमारी आती है -रामनरेश त्रिपाठी

तब याद तुमारी आती है -कविता

केदारनाथ बदरीनाथ तबाही --

Salute to all the Army man who are indulge in the rescue operation in ut...

उत्तराखंड तबाही Uttarakhand Flood 2013 Live Video

सोमवार, 18 सितंबर 2017

पीपल की आत्मकथा



Source:http://www.vicharbindu.com/ek-pipal-ki-khani/

पानी की आत्मकथा

पानी की आत्मकथा

Author: 
 डॉ. महेश परिमल
Source: 
 दैनिक भास्कर ईपेपर, 02 जून 2012
जल ही जीवन है यह एक वैज्ञानिक सत्य है। आज कल की परिस्थिति यह हो गयी है की पानी के लिए हर जगह त्राहिमाम मचा हुआ है गर्मी में खाना मिले या न मिले पर पानी जरुर चाहिए। पानी की समस्या सिर्फ शहरों या महानगरों में ही नहीं अब तो गाँवो में भी पीने का पानी सही ढंग से नई मिल पा रहा है। हम पानी की समस्या से इतने जूझ रहे हैं फिर भी हम पानी का सही इस्तेमाल कैसे करें या पानी को कैसे ज्यादा से ज्यादा बचाएं इसके बारे में हम नहीं सोचते पानी को व्यर्थ बहने से बचाना होगा उसे सहेजना होगा ताकि हम अपना पानी बचा सकें।

मैं जब भी बरसती हूं, जी भरकर बरसती हूं। फिर यह नहीं देखती कि कहां बरस रही हूं। कभी तो मैं खुशियों की बहारें ले आती हूं, तो कभी कहर बरपा देती हूं। मैं तो धरती पर समाने के लिए बरसना चाहती हूं, पर कई बार ऐसा भी होता है, मुझे धरती पर समाने के लिए कहीं भी जगह नहीं मिलती। कंक्रीट के इस जंगल में समाने के लिए कोई जगह ही नहीं है मेरे लिए। इसीलिए शायद शहरवासी प्यासे हो जाते हैं। वे मुझे सहेजना ही नहीं चाहते।
मैं एक बूंद हूं। मेरी असलियत से अनजान आप मुझे पानी की एक बूंद कह सकते हैं या फिर ओस की एक बूंद भी। नदी, झरने, झील, सागर की लहरों का एक छोटा रूप भी। लेकिन मेरी सच्चाई यह है कि मैं पलकों की सीप में कैद एक अनमोल मोती के रूप में सहेजकर रखी हुई आंसू की एक बूंद हूं। इस सृष्टि के सृजनकर्ता ने जब शिशु को धरती पर उतारा तो उसकी आंखों में मुझे पनाह दी। ममत्व की पहचान बनकर मैं बसी थी मां की पलकों में और धीरे से उतरी थी उसके गालों पर। गालों पर थिरकती हुई बहती चली गई और फिर भिगो दिया था मां का आंचल। उस समय मैं खुशियों की सौगात बनकर मां की आंखों से बरसी थी। दुआओं का सागर उमड़ा था और उसकी हर लहर की गूंज में शिशु का क्रंदन अनसुना हो गया था।

एक नन्ही-सी बूंद मुझमें ही समाया है सारा संसार। कभी मैं खुशी के क्षणों में आंखों से रिश्ता तोड़ती हूं, तो कभी गम के पलों में। बरसना तो मेरी नियति है। मैं बरसती हूं तो जीवन बहता है। जीवन का बहना जरूरी है। मैं ठहरती हूं, तो जीवन ठहरता है। जीवन का हर पल दूजे पलों से अनजाना होकर किसी कोने में दुबक गया है। इसलिए इस ठहराव को रोकने के लिए मेरा बरसना जरूरी है। मुझमें जो तपन है, वो रेगिस्तान की रेत में नहीं, पिघलती मोम की बूंदों में नहीं, सूरज की किरणों में नहीं और आग की चिंगारी में भी नहीं। मुझमें जो ठंडक है, वो चांद की चांदनी में नहीं, सुबह-सुबह मखमली घास पर बिखरी ओस की बूंदों में नहीं, पुरवैया में नहीं और हिम शिखर से झरते हिम बिंदुओं में भी नहीं। मेरी तपन, मेरी ठंडक अहसासों की एक बहती धारा है, जो अपनी पहचान खुद बनाती है।

मैं जब भी बरसती हूं, जी भरकर बरसती हूं। फिर यह नहीं देखती कि कहां बरस रही हूं। कभी तो मैं खुशियों की बहारें ले आती हूं, तो कभी कहर बरपा देती हूं। मैं तो धरती पर समाने के लिए बरसना चाहती हूं, पर कई बार ऐसा भी होता है, मुझे धरती पर समाने के लिए कहीं भी जगह नहीं मिलती। कंक्रीट के इस जंगल में समाने के लिए कोई जगह ही नहीं है मेरे लिए। इसीलिए शायद शहरवासी प्यासे हो जाते हैं। वे मुझे सहेजना ही नहीं चाहते। बहना मेरा स्वभाव है, तो मुझे बहने दो ना। क्यों रोकते हो, मुझे? रिस-रिसकर मैं जितना धरती पर समाऊंगी, उतना ही उसे उपजाऊ भी करूंगी। मेरी भावनाएं गलत नहीं हैं, फिर भी कोई मुझे समझना नहीं चाहता। क्या करूं, अपना स्वभाव छोड़ नहीं सकती। आखिर कहां जाऊं, क्या करूं, बता सकते हैं आप?

इस बार आपसे एक वादा लेना चाहती हूं। मैं अपनी असंख्य सखियों के साथ जब आपके आंगन में जमकर बरसूंगी, तब आपको सारी बूंदों को सहेजना होगा। बस कुछ ही दिनों की बात है। अभी तो गर्मी की तपिश सह लें, सूरज के तेवर को समझ लें। घनघोर तपिश के बाद जब मेरा पदार्पण होगा, तब प्रकृति खिलखिलाएगी, मोर नाचेंगे, हिरण कुलांचें भरेगा, गोरैया चहकेगी, हृदय के किसी सुनसान कोने से उठेंगी प्यार की तरंगें। बस एक ही वादा, हर बूंद को सहेजना होगा, तभी मेरा जन्म सार्थक होगा। मैं बूंद हूं। कभी पलकों पर मेरा बसेरा होता है तो कभी अधरों पर मेरा आशियाना। मुझे तो हर हाल में, हर अंदाज में जीना है। मैं जी रही हूं और मैं जीती रहूंगी। जब तक मैं इस धरती पर हूं, जिंदगी गुनगुनाएगी, मुस्कराएगी, रिमझिम फुहारों-सी भीगेगी और अपनी एक कहानी कह जाएगी। कहानियां बनती रहें जिंदगी गुनगुनाती रहे बस यही कामना।

प्रशनोत्तरी

 उपनाम - व्‍यक्ति

1. राष्‍ट्रपिता - महात्‍मा गाँधी

2. बापू - महात्‍मा गाँधी

3. सीमांत गाँधी, बादशाह खान - खान अब्‍दुल गफ्फार खाँ

4. भारत के वृद्ध पुरूष - दादा भाई नौरोजी

5. भारत के लौह पुरूष - सरदार वल्‍लभ भाई पटेल

6. शांति दूत - लाल बहादूर शास्‍त्री

7. पंजाब केसरी - लाला लाजपत राय

8. बंगाल केसरी - आशुतोष मुखर्जी

9. बिहार केसरी - डाँ. श्री कृष्‍ण सिंह

10. आंध्र केसरी - टी. प्रकाशम

11. शेर – ए – कश्‍मीर, कश्‍मीर के शेर - शेख अब्‍दुल्‍ला

12. बंगबंधु - शेख मुजीबुर रहमान

13. देशबंधु - चितरंजन दास

14. दीनबंधु - सी.एफ.एण्‍ड्रयुज

15. लोकमान्‍य - बाल गंगाधर तिलक

16. लोकनायक - जय प्रकाश नारायण

17. जननायक - कर्पुरी ठाकुर

18. राजश्री - पुरूषोत्तम दास टंडन

19. गुरूदेव - रवीन्‍द्र नाथ टैगोर

20. गुरूजी - एम.एस.गोवलकर

21. देश रत्‍न, अजातशत्रु - डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद

22. महामना - मदन मोहन मालवीय

23. नेताजी - सुभाष चंद्र बोस

24. चाचा, पंडित जी - जवाहर लाल नेहरू

25. राजाजी, सी.आर - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

26. गौरेया - मेजर जनरल राजिंदर सिंह

27. युवा तुर्क - चंद्र शेखर

28. ताऊ - चौधरी देवी लाल

29. शहीद ए आजम - भगत सिंह

30. भारत की कोकिला - सरोजिनी नायडू

31. लेडी विद द लैम्‍प - फ्लोरेंस नाइटिंगल

32. स्‍वर कोकिला - लता मंगेशकर

33. उडनपरी - पी.टी.उषा

34. मदर (माँ) - मदर टेरेसा

35. विश्‍व कवि, कवि गुरू - रवीन्‍द्र नाथ टैगोर

36. सरदार - सरदार वल्लभ भाई पटेल

37. तोता – ए – हिंद - अमीर खुसरो

38. लाल, बाल, पाल - लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल

39. बिहार विभूति - डाँ. अनुराग नारायण सिंह

40. बाबूजी - जगजीवन राम

41. भारत का नेपोलियन - समुद्र गुप्‍त

42. भारत का शेक्‍सपियर - महाकवि कलिदास

43. भारत का मैकियावली - चाण्‍क्‍य (कौटिल्‍य)

44. कश्‍मीर का अकबर - जेनुल आब्‍दीन

45. गुजरात के पिता - रवि शंकर महाराज

46. भारतीय फिल्‍मों के दादा - ढूण्‍डी राज गोविन्‍द फाल्‍के

47. भारतीय पुनर्जागरण के पिता - राजा राम मोहन राय

48. भारतीय इतिहास के निर्माता राजा - सैयद बंधु

49. अन्‍ना - सी.एन . अन्‍नादुराई

50. जी.बी.एस. - जॉर्ज

51. हरियाणा हरिकेन - कपिल देव

52. हॉकी के जादुगर - ध्‍यानचंद

53. देश प्रिय - यतीन्‍द्र मोहन सेन गुप्‍ता

54. कुवेम्‍पु - के.वी.पुट्टप्‍पा

55. लिटिल कॉर्पोरल, भाग्‍य के पुरूष - नेपोलियन बोनापार्ट

56. फ्यूरर - एडॉल्‍फ हिटलर

57. किंग मेकर - वारविक अर्ल

58. अंकल हो - ही ची मिन्‍ह

59. एवन का कवि - विलियम शेक्‍सपियर

60. ली क्‍वान - पर्ल बक

61. ब्रिटेन के ग्रैड ओल्‍ड मेन - विलियम ई.ग्‍लैडस्‍टोन

62. युवती रानी - महारानी एलिजाबेथ प्रथम

63. ऑरलियन्‍स की नौकरानी - जोन ऑफ आर्क

64. रक्‍त एवं लौह के पुरूष - ओटो वान बिस्‍मार्क

65. दवि‍तीय ड्यूस - बेनिटो मुसोलिनी

66. डेजर्ट फॉक्‍स - जनरल रोमेल इरविन

67. कायदे आजम - मो. अली जिन्‍नाह
 ☞. सर्वग्राही रक्त समूह है : → AB
☞. सर्वदाता रक्त समूह है : → O
☞. आर० एच० फैक्टर सबंधित है : → रक्त से
☞. RH फैक्टर के खोजकर्ता : → लैंड स्टीनर एवं विनर
☞. रक्त को शुद्ध करता है : → वॄक्क (kidney)
☞. वॄक्क का भार होता है : → 150 ग्राम
☞. रक्त एक विलयन है : → क्षारीय
☞. रक्त का pH मान होता है : → 7.4
☞. ह्र्दय की धडकन का नियंत्रक है : → पेसमेकर
☞. शरीर से ह्रदय की ओर रक्त ले जाने वाली रक्तवाहिनी कहलाती है : → शिरा
☞. ह्रदय से शरीर की ओर रक्त ले जाने वाली रक्तवाहिनी कहलाती है : → धमनी
☞. जराविक-7 है : → कृत्रिम ह्रदय
☞. शरीर में आक्सीजन का परिवहन : → रक्त द्वारा
☞. सबसे छोटी अस्थि : → स्टेपिज़ (मध्य कर्ण में)
☞. सबसे बड़ी अस्थि : → फिमर (जंघा में)
☞. सबसे लम्बी पेशी : → सर्टोरियास
☞. सबसे बड़ी ग्रंथि : → यकृत
☞. सर्वाधिक पुनरुदभवन की क्षमता : → यकृत में
☞. सबसे कम पुनरुदभवन की क्षमता : → मस्तिष्क में
☞. शरीर का सबसे कठोर भाग : → दांत का इनेमल
☞. सबसे बड़ी लार ग्रंथि : → पैरोटिड ग्रंथि
☞. सबसे छोटी WBC : → लिम्फोसाइट
☞. सबसे बड़ी WBC : → मोनोसाइट
☞. सबसे बड़ी शिरा : → एन्फिरियर
☞. RBCs का जीवन काल : → 120 दिन
☞. रुधिर का थक्का बनाने का समय : → 2-5 दिन
G.K. Related to the Human Body
☞. अनुवांशिकी के पिता ग्रेगर जॅान मेंडल को कहा जाता है।
☞. हरगोविंद खुराना को नोबेल पुरस्कार जीन DNA से संबंधित खोज के लिए मिला था।
☞. राइबोसोम ( Ribosome ) को प्रोटीन की फैक्ट्री कहा जाता है।
☞. मानव शरीर में गुणसूत्रो की संख्या 46 ( 23 जोड़ा ) होती है।
☞. चेचक का टीका की खोज एडवर्ड जैनर ने की थी।
☞. स्वस्थ मनुष्य के शरीर के रक्त का पी. एच. मान 7.4 होता है।
☞. लाल रक्त कणिकांए RBC का निर्माण अस्थिमज्जा में होता है।
☞. कोशिका की खोज अंग्रेज वैज्ञानिक राबर्ट हुक ने की थी।
☞. नवजात बच्चों के शरीर में 300 हड्डियां होती है।
☞. मानव शरीर की सबसे लंबी हड्डी को ‘फीमर’ कहते है ( जांघ की हड्डी )।
☞. मनुष्य के शरीर की सबसे छोटी हड्डी ‘स्टेप्स’ है जो कान में होती है।
☞. मनुष्य की छाती में दोनों तरफ 12 -12 पसलियां होती है।
☞. RBC लाल रक्त कण की कब्रगाह यकृत और प्लीहा को कहा जाता है।
☞. रक्त का थक्का बनाने में विटामिन के k सहायक होता है।
☞. रक्त समूह ( Blood Group ) एवं आर एच तत्व ( RH Factor ) की खोज कार्ल लैंडस्टीनर ने की थी।
☞. AB रक्त समूह में एण्टीबॅाडी नहीं पाई जाती है, इसलिए यह सर्वग्रहता कहलाता है
☞. O रक्त समूह में एणटीजन नहीं होता है यह सर्वदाता कहलाता है।
☞. मनुष्य के हृदय का भार लगभग 300 ग्राम होता है।
☞. स्वस्थ मनुष्य का हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है।
☞. स्वस्थ मनुष्य रक्त दाब 120/80 mmhg ( Systolic / diastolic ) होता है।
☞. यूरोक्रोम की उपस्थिति के कारण मूत्र का रंग हल्का पीला होता हैं।
☞. एलीसा प्रणाली ( ELISA Test ) से एड्स बीमारी के HIV वायरस का पता लगाया जाता है।
☞. टिटनेस से शरीर का तंत्रिका तंत्र प्रवाहित होता है।
☞. स्वस्थ मनुष्य के शरीर में रक्त का औसत 5 – 6 लीटर होता है।
☞. मनुष्य के रक्त का शुद्धिकरण किडनी में होता है।
☞. मानव शरीर की सबसे छोटी ग्रंथि पिट्यूटरी मस्तिष्क में होती है।
☞. मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत होती है।
☞. इन्सुलिन की खोज बैटिंग एवं वेस्ट ने की थी।
☞. वस्तु का प्रतिबिंब आँखों के रेटिना में बनता है।
☞. नेत्रदान में आँख के कार्निया को दान किया जाता है।
☞. त्वचा का कैंसर सूर्य की पराबैंगनी किरणों से होता है।
☞. किडनी में, बोमन कैप्सूल पाया जाता है।
☞. सिरोसिस बीमारी लिवर को प्रभावित करता है।
☞. एलब्युमिन रक्त प्रोटीन के बीच प्लाज्मा में पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है।
☞. एपिनेफ्रीन हार्मोन हृदय की समस्याओं के इलाज के लिए एक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
☞. एक 2 साल की उम्र में बच्चे के आहार में अधिक प्रोटीन शामिल करना चाहिए।
☞. पचा हुआ भोजन ज्यादातर छोटी आंत के माध्यम से अवशोषित होता है।
☞. कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों में सबसे व्यापक रूप में मिलने वाला खनिज हैं।
☞. रक्ताल्पताo आमतौर पर शर्करा के कारण होता है।
☞. रक्त में लौह तत्व पाया जाता है।
☞. टायफायड से आंत प्रभावित होता है।

=============
26. शिवालिक में मिट्टी और कंकड़ के बने ऊंचे मैदानों को क्या कहते हैं ?
►-पश्चिम में दून (देहरादून) और पूर्व द्वार (हरिद्वार)
27. जास्कर और लद्दाख श्रेणी कहां स्थित है ?
►-कश्मीर
28. जास्कर और लद्दाख श्रेणी के बीच कौन-सी नदी बहती है ?
►-सिंधु
29. भारत की सबसे गहरी गार्ज का निर्माण कहां होता है ?
►-बुंजी नामक स्थान पर ।
30. जम्मू-कश्मीर में पूर्व से पश्चिम की ओर पर्वत श्रेणियों का क्रम क्या है ?
►-कराकोरम, लद्दाख, जास्कर, पीर पंजाल ।
31. पटकाई, लुसाई, गारो, खासी, जयंतिया, बरैल और निकिर पर्वतश्रेणी कहां स्थित है ?
►-मेघालय (पूर्वी राज्यों में)
32. अरावली पर्वत की लंबाई कितनी है ?
►-1100 मीटर
33. अरावली पर्वत कहां से कहां तक फैला है ?
►-दिल्ली से अहमदाबाद तक
34. भारत की सबसे प्राचीन पर्वत-श्रेणी कौन-सी है ?
►-अरावली
35. अरावली का सर्वोच्च शिखर कौन-सा है ?
►-गुरुशिखर
36. गुरुशिखर कहां स्थित है ?
►-माउंटआबू की पहाड़ी पर 1722 मीटर।
37. पीपली घाट दर्रा कहां स्थित है ?
►-अरावली
38. अरावली की पश्चिम की ओर से कौन-सी नदी निकलती है ?
►-माही और लूनी
39. लूनी नदी कहां जाकर गायब हो जाती है ?
►-कच्छ के रण में ।
40. अरावली के पूर्व की ओर कौन-सी नदी निकलती है ?
►-बनास नदी ।
=============
GKToday.co.in
=============
41. वैसी नदी जो जमीन में ही लुप्त हो जाती है क्या कहलाती है ?
►-द रिवर ऑफ इफमेरल (The river of Ephemeral)
42. किस पहाड़ी को पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट की मिलनस्थली कहते हैं ?
►-नीलगिरी
43. नीलगिरी का सर्वोच्च शिखर कौन-सा है ?
►-डोडाबेट्टा (2623 मी)
44. नीलगिरी की पहाड़ी किस राज्य में स्थित है ?
►-तमिलनाडु
45. मालवा का पठार किस राज्य में है ?
►-मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़
46. मालवा के पठार से कौन-सी नदी निकलती है ?
►-चंबल और बेतवा
47. विंध्याचल का पठार किस राज्य में है ?
►-झारखंड, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़
48. कौन-सी पर्वतमाला उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है ?
►-विंध्याचल पर्वतमाला
49. विंध्याचल का पठार किन चट्टानों का बना है ?
►-परतदार चट्टान
50. मैकाल पठार कहां स्थित है ?
►-छत्तीसगढ़
51. मैकाल पहाड़ी का सर्वोच्च शिखऱ कौन-सा है ?
►-अमरकंटक (1036 मी.)
52. मैकाल के पठार से कौन-सी नदी निकलती है ?
►-नर्मदा, सोन, महानदी
53. नर्मदा का उद्गम स्थल क्या है ?
►-अमरकंटक
54. छोटानागपुर का पठार किस मैदान का उदाहरण है ?
►-सम्प्राय मैदान
55. छोटानागरपुर का पठार कहां स्थित है ?
►-रांची
=============
GKToday.co.in
=============
 कम्प्यूटर सामान्य ज्ञान – प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु प्रश्न-उत्तर
1. बाइनरी सिस्टम एक नंबर सिस्टम है जिसका आधार है–
(A) 2 (B) 4 (C) 8 (D) 10
Ans : (A)

2. कंप्यूटर में क्या अवश्य होना चाहिए कि यह ‘बूट हो सके?
(A) कम्पाइलर (B) लोडर (C) ऑपरेटिंग सिस्टम (D) एसेम्बलर
Ans : (C)

3. यह एक्सेल में एक फक्शन कैटेगरी नहीं है–
(A) लॉजिकल (B) डाटा सीरीज (C) फाइनैंशियल (D) टेक्स्ट
Ans : (B)

4. एक्सेल में, यह एक प्रीरिकार्डिड फार्मूलों है जो जटिल गणनाओं के लिए शार्टकट प्रदान करना है।
(A) वैल्यू (B) डाटा सीरीज (C) फंक्शन (D) फील्ड
Ans : (C)

5. कंप्यूटर की निम्न मेमोरी की विशेषता है प्रति बिट स्टोर करने की कम लागत–
(A) प्राइमरी (B) सेकेंडरी (C) हार्ड डिस्क (D) ये सभी
Ans : (B)

6. निम्नलिखित में से कौन–सा एक वह प्रोग्राम है जो उच्च स्तर भाषा को मशीन में बदलता है?
(A) योजक (लिंकर) (B) समुच्चायक (असेंबलर) (C) निर्वचित्र (इंटरप्रेटर) (D) संकलक (कंपालर)
Ans : (D)

7. वर्ड में रिप्लेस आप्शन कहाँ पर उपलब्ध है।
(A) फाइल मेन्यू (B) व्यू मेन्यू (C) एडिट मेन्यू (D) फार्मेट मेन्यू
Ans : (C)

8. कम्प्यूटर हार्डवेयर में जो सिलिका का बना होता है, आंकड़ों की बहुत अधिक मात्रा को भंडार में रख सकता है। वह कहलाता है–
(A) डिस्क (B) चिप (C) मैग्नेटिक टेप (चुम्बकीय टेप) (D) फाइल
Ans : (B)

9. वर्ड में अपने पिछले एक्शन को रिवर्स करने के लिए–
(A) कट कमांड का प्रयोग करें (B) अन–डू कमांड का प्रयोग करें (C) डिलीट की प्रेस करें (D) री–डू कमांड का प्रयोग करें
Ans : (B)

10. सेकेंडरी स्टोरेज से डाटा के लिए रिक्वेस्ट मिलने के बाद वास्तविक डाटा ट्रांसफर के लिए लगने वाले समय को क्या कहते हैं।
(A) डिस्क ट्रांसफर टाइम (B) मूवमेंट टाइम (C) एक्सेस टाइम (D) डाटा इनपुट टाइम
Ans : (A)

11. निम्न में कौन–सा कम्प्यूटर पद नहीं है?
(A) एनालॉग (B) बाइनरी कोड (C) चिप (D) मोड
Ans : (A)

12. कंप्यूटर के लिए ग्राफिकल इमेज और पिक्चर निम्न में से कौन डाल सकता है?
(A) प्लॉटर (B) स्कैनर (C) माउस (D) प्रिंटर
Ans : (B)

13. इंटरने�
‬: *अंतराष्ट्रीय सीमाएं*
*रेखा का नाम – डूरंड रेखा (Durand Line)*
*देशों के मध्य – पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान*
*1886 में सर मार्टिमर डूरंड द्वारा निर्धारित।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – मैकमाहोन रेखा (Macmahon Line)*
*देशों के मध्य – भारत तथा चीन*
*1120 किमी. लंबी यह रेखा सर हेनरी मैकमोहन द्वारा निर्धारित की गई थी। लेकिन चीन इसे स्वीकार नहीं करता।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – रेडक्लिफ रेखा (Radcliffe Line)*
*देशों के मध्य – भारत तथा पाकिस्तान*
*1947 में भारत-पाकिस्तान सीमा आयोग के अध्यक्ष सर सायरिल रेडक्लिफ द्वारा निर्धारित।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – 17 वीं समानांतर रेखा (17th Parallel)*
*देशों के मध्य – उत्तरी वियतनाम तथा द. वियतनाम*
*वियतनाम के एकीकरण के पहले यह देश को दो भागों में बांटती थी।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – 24 वीं समानांतर रेखा (24th Parallel)*
*देशों के मध्य – भारत तथा पाकिस्तान*
*पाकिस्तान के अनुसार कच्छ क्षेत्र का यह रेखा सही निर्धारण करती है लेकिन भारत इस रेखा को स्वीकार नहीं करता है।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – 38 वीं समानांतर रेखा (38th Parallel)*
*देशों के मध्य – उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया*
*कोरिया को दो भागों में बांटती है।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – 49 वीं समानांतर रेखा (49th Parallel)*
*देशों के मध्य – अमेरिका तथा कनाडा*
*अमेरिका तथा कनाडा को दो भागों में बांटती है।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – हिंडनबर्ग रेखा (Hindenburg Line)*
*देशों के मध्य – जर्मनी तथा पोलैंड*
*प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की सेना यहीं से वापस लौटी थी।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – ओडरनास रेखा (Order-Neisse Line)*
*देशों के मध्य – जर्मनी तथा पोलैंड*
*द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निर्धारित की गई।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – मैगिनाट रेखा (Maginot Line)*
*देशों के मध्य – जर्मनी तथा फ्रांस*
*जर्मनी के आक्रमण से बचाव के लिए फ्रांस ने यह रेखा बनाई थी।*
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
*रेखा का नाम – सीजफ्राइड रेखा (Seigfrid Line)*
*देशों के मध्य – जर्मनी तथा फ्रांस*
*जर्मनी ने यह रेखा बनाई थी !

पेड़ की आत्मकथा


 पेड़ की आत्मकथा

 मैं एक पेड़  हु।  आज के करीब चालीस साल पहले , ठीक इसी जगह मेरा जन्म हुआ था। रिया के मुह से गिरे हुए दाने से मेरे जीवन का शुरुवात हुआ था।    अभी भी वह पल याद है , जब मैंने पहली  बार , सूरज की किरणों को महसूस किया।  क्या अमूल्य पल था वो।  बचपन में मेरा आकर तो बहुत ही छोटा था , यही कही एक - दो फुट का था मैं।  
बचपन में मुझे बहुत कठिनिया भी झेलनी परती थी , छोटे कद का होने के कारन जानवर मुझे हमेशा तंग करते थे, कितने बार तो मेरी जान जाते - जाते बची। खैर, उन दिनों की बात रहे , धीरे - धीरे साल दो साल के अंदर मैं बढ़ा हुआ।  मेरी कद थोड़ी लम्बी हुयी , चलो  शुक्र है , अब मुझे हमेशा  जानवरो का डर नही लगा रहता था। अभी दुनिया को नया ही देख रहा थे मैं , नयी नयी चीज़े देखा , नए लोगो को जाना आदि।
 ऐसे ही और तीन - चार साल बिट गए , अब माओं बढ़ा हो गया था , और मैं वो सब करने के लायक बन  चूका था जो बढे पैर कर सकते है।  तो अब मैं , मनुष्यो को अपनी सेवाएं प्रदान करता।  उन्हें अपनी शीतल छाया देता हु, उन्हें फल - फूल देता हु , लकड़ी , कागज़ , बादाम , और सबसे अमूल्य - ओषजन ( ऑक्सीजन ) मानव जाती मुझसे ही प्राप्त करती है। 
पर मानव को देखो, वो तो मुझे जैसे लाखो पेड़  को , जो उन्हें इतनी ज़रूरी चीज़े देता है , उन्हें ही  काट डालता है।  
कुछ साल पहले तो हालत और बुरी , अब तो फिर भी , सरकार के कुछ उद्योगो के सहारे हमारी सुरक्षा होती है।  अब मैं थोड़ा बूढ़ा हो रहा हु , फिर भी चालीस वर्ष मुझ जैसे बरगद के वृक्ष के लिए तो कुछ भी नही , अभी तो और हज़ारो साल मुझे यह दुनिया देखनी है , सच पेड़  होने के कुछ आभाव तो है , पर ज़रा यह भी जानू  कौन इस दुनिया को सौ - दोसौ साल तक देखेगा, मेरी तरह।  पेड़ होना भी कितना भग्यवान है। 




Source:https://brainly.in/question/109012

रविवार, 17 सितंबर 2017

भारत में विभिन्न क्षेत्रों में प्रथम महिला

समाज में कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि महिलाएं, पुरुषों से कमतर होती हैं | परन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है | हमारी ये पोस्ट ये सिद्ध कर देगी कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है | अगर आप जानना चाहते हैं कि ऐसा कैसे है तो हमारी पूरी पोस्ट को पढ़ें और अन्य लोगों के साथ शेयर करें | हम यहाँ आपको भारत में विभिन्न क्षेत्रों में प्रथम महिला / महिलाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं |
  • राष्ट्रपति – श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
  • प्रधानमंत्री – इन्दिरा गाँधी
  • राज्यपाल – सरोजिनी नायडू ( उत्तर प्रदेश )
  • लोकसभा अध्यक्ष – मीरा कुमार ( 2009 में )
  • संघ लोकसेवा आयोग की अध्यक्षा – रोज मिलियन मैथ्यू
  • प्रथम महिला शासिका – रज़िया सुल्तान
  • अशोक चक्र विजेता – नीरजा भनोट ( मरणोपरांत )
  •  प्रथम महिला आई.पी.एस.  –  श्रीमती किरण वेदी
  • प्रथम महिला आई.ए.एस.  –  श्रीमती अन्ना जॉर्ज
  • नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय महिला  –  मदर टेरेसा
  • भारत रत्न से सम्मानित प्रथम महिला  –  श्रीमती इंदिरा गाँधी
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित पहली महिला  –  श्रीमती आशापूर्णा देवी
  • नौका से पूरे विश्व का चक्कर लगाने वाली प्रथम भारतीय महिला  –  श्रीमती उज्जवला पाटिल
  • विश्व सुंदरी का ख़िताब जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला  –  श्रीमती रीता फारिया
  • प्रथम भारतीय महिला सर्जन  –  डॉ. प्रेमा मुखर्जी
  • अंटार्कटिका पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला  –  श्रीमती मेहमूस
  • ओलम्पिक खेल में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी  –   श्रीमती मेरी लीला रो
  • एवरेस्ट पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला  –  श्रीमती बछेन्द्री पाल
  • एवरेस्ट पर दो बार पहुँचने वाली पहली महिला  –  श्रीमती संतोष यादव
  • भारतीय वायु सेना की पहली महिला पायलट  –  श्रीमती हरिता कौर देओल
  • अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय मूल की महिला  –  श्रीमती कल्पना चावला
  • ओलम्पिक की निशानेबाजी की प्रतियोगिता के फाइनल में पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला  –  श्रीमती अंजलि वेद पाठक ( 27 वें ओलम्पिक खेल )
  • ओलम्पिक खेलों में पदक प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला  –  श्रीमती कर्णम मल्लेश्वरी ( 27 वें ओलम्पिक खेल )
  • अंटार्कटिका पर जाने वाली प्रथम भारतीय महिला डॉक्टर  –  डॉ. कंवल विल्कू
  • विदेश सचिव बनने वाली प्रथम महिला  –  श्रीमती चोकिला अय्यर
  • भारत की प्रथम महिला मर्चेंट नेवी अधिकारी  –  श्रीमती सोनाली बनर्जी
  • भारत की प्रथम महिला क्रिकेटर जिसने दोहरा शतक बनाया  –  श्रीमती मिताली राज ( 214 रन, अगस्त 2002 में इंग्लैंड के विरुद्ध )
  • भारत की प्रथम महिला जो संयुक्त राष्ट्र संघ की नागरिक पुलिस सलाहकार नियुक्त हुई  –  श्रीमती किरण वेदी
  • भारत की प्रथम महिला जो भारतीय रिज़र्व बैंक ( Reserve Bank of India ) की डिप्टी गवर्नर नियुक्त हुई  –  के. जे. उदेशी ( 10 जून 2003 को नियुक्त )
  • प्रथम भारतीय महिला जिसने विंबलडन की किसी टेनिस प्रतियोगिता में विजय हासिल की  –  श्रीमती सानिया मिर्जा ( जुलाई 2003 )
  • देश की पहली महिला मुख्य सूचना आयुक्त  –  श्रीमती दीपक संधू ( सितम्बर 2007 )
  • भारतीय स्टेट बैंक ( State Bank of India ) की प्रथम महिला अध्यक्ष  –  अरुंधति भट्टाचार्य ( अक्टूबर 2013 )
  • भारतीय महिला बैंक की पहली अध्यक्ष  –  श्रीमती ऊषा अनंत सुब्रह्मण्यम
  • पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री  –  श्रीमती ममता बनर्जी ( मई 2011 )
  • प्रथम महिला लोकसभा स्पीकर  –  श्रीमती मीरा कुमार ( जून 2009 )
  • प्रथम भारतीय महिला जो फ्रांस के कांस अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में जूरी की सदस्य बनी  –  श्रीमती नंदिता दास ( 58 वाँ कान्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव मई 2005 )
  • भारतीय वायुसेना में एयर मार्शल का पद प्राप्त करने वाली पहली महिला  –  श्रीमती पद्मा बंद्योपाध्याय
  • प्रथम भारतीय महिला तैराक जिसने दुनिया के महत्वपूर्ण सात समुद्र एवं पाँचों महाद्वीपों को तैरकर पार कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया  –  श्रीमती बुला चौधरी
  • भारत की पहली महिला जो भारतीय सेना में चिकित्सा कोर में ले. जनरल की रैंक तक पहुँची  –  श्रीमती पुनीता अरोरा
  • भारत की  पहली महिला जो किसी राज्य की पुलिस महानिदेशक ( उत्तराखण्ड ) बनी  –  श्रीमती कंचन चौधरी भट्टाचार्य
  • इंडियन एयरलाइन्स की प्रथम महिला चैक पायलट  –  श्रीमती संगीता के. बांगर
  • राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण बैंक ( NABARD ) की प्रथम महिला अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक  –  श्रीमती रंजना कुमार
  • विश्व एथलेटिक्स में कोई पदक जीतने वाली भारत की प्रथम महिला एथलेटिक्स  –  अंजू बॉबी जॉर्ज ( अगस्त 2003, पेरिस )
source:sugangyan.com

कल्पना चावला - भारत की पुत्री --------वृत्तचित्र

कल्पना चावला

कल्पना चावला    

 कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी।वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।

कल्‍पना चावला
कल्पना चावला
अंतरिक्ष यात्री
राष्ट्रीयतासंयुक्त राज्य अमरीका
भारत
स्थितिदिवंगत
जन्म17 मार्च 1962
करनालहरियाणा, भारत
मृत्यु1 फ़रवरी 2003 (आयु 41 वर्ष)
टेक्सास के ऊपर
पिछ्ला
व्यवसाय
शोध वैज्यानिक
अंतरिक्ष में बीता समय31दि 14घं 54 मि
चयन1994 नासा समूह
मिशनएसटीएस-८७एसटीएस-१०७
मिशन
उपलब्धियाँ
Sts-87-patch.svg STS-107 Flight Insignia.svg

प्रारंभिक जीवनसंपादित करें

भारत की बेटी-कल्पना चावला करनालहरियाणा, भारत में एक हिंदू भारतीय परिवार में जन्म लिया था। उनका जन्म 17 मार्च् सन् 1962 मे एक भारतीय परिवार मे हुआ था। उसके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो मे सबसे छोटी थी। घर मे सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे। कल्पना की प्रारंभिक पढाई “टैगोर बाल निकेतन” मे हुई। कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनयर बनने की इच्छा प्रकट की। उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की। पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे। किंतु कल्पना बचपन सेही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझार प्रवृति। कलपना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी। [3] उनकी उड़ान में दिलचस्पी जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटासेप्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।[4][5]

शिक्षासंपादित करें

कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेजचंडीगढ़, भारत से करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की। कल्पना जी ने 1986 में दूसरी विज्ञान निष्णात की उपाधि पाई और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियंत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि पाई। कल्पना जी को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी।

एम्स अनुसंधान केंद्रसंपादित करें

१९८८ के अंत में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहाँ वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर अनुसंधान किया।

नासा कार्यकालसंपादित करें


अंतरिक्ष शटल सिम्युलेटर में चावला
कल्पना जी मार्च १९९५ में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और उन्हें १९९८ में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन १९ नवम्बर १९९७ को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-८७ से शुरू हुआ। कल्पना जी अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ाने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। राकेश शर्मा ने १९८४ में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी। कल्पना जी अपने पहले मिशन में १.०४ करोड़ मील का सफ़र तय कर के पृथ्वी की २५२ परिक्रमाएँ कीं और अंतरिक्ष में ३६० से अधिक घंटे बिताए। एसटीएस-८७ के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी ज़िम्मेदार थीं, इस खराब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विंस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अंतरिक्ष में चलना पड़ा था। पाँच महीने की तफ़्तीश के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूर्णतया दोषमुक्त पाया, त्रुटियाँ तंत्रांश अंतरापृष्ठों व यान कर्मचारियों तथा ज़मीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित विधियों में मिलीं।
एसटीएस-८७ की उड़ानोपरांत गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनीकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।
१९८३ में वे एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और शादी की और १९९० में एक देशीयकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं।
भारत के लिए चावला की आखिरी यात्रा १९९१-१९९२ के नए साल की छुट्टी के दौरान थी जब वे और उनके पति, परिवार के साथ समय बिताने गए थे। २००० में उन्हें एसटीएस-१०७ में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया। यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि विभिन्न कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें। १६ जनवरी २००३ को कल्पना जी ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस-१०७ मिशन का आरंभ किया। उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब/बल्ले-बल्ले/फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने ८० प्रयोग किए, जिनके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ। कोलंबिया अन्तरिक्ष यान में उनके साथ अन्य यात्री थे-
  • कमांडर रिक डी . हुसबंद
  • पायलट विलियम स. मैकूल
  • कमांडर माइकल प . एंडरसन
  • इलान रामों
  • डेविड म . ब्राउन
  • लौरेल बी . क्लार्क
अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार - विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल मे अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई। नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी। १ फ़रवरी २००३ को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफ़ल कहलया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया।
ये अंतरिक्ष यात्री तो सितारों की दुनिया में विलीन हो गए लेकिन इनके अनुसंधानों का लाभ पूरे विश्व को अवश्य मिलेगा। इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।“

पुरस्कारसंपादित करें

मेमोरियासंपादित करें

  • टेक्सास विश्वविद्यालय एल पासो (यूटीईपी) में भारतीय छात्र संघ (आईएसए) द्वारा २००५ में मेधावी छात्रों को स्नातक के लिए.[19]कल्पना चावला यादगार छात्रवृत्ति कार्यक्रम स्थापित किया गया
  • छोटा तारा 51826 Kalpanachawla , एक सात प्रशंसा पत्र के नाम से कोलंबिया (Columbia)'चालक दलों[20]
  • 5 फ़रवरी 2003 को, भारत के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि उपग्रहों के मौसम श्रृंखला, "METSAT ","कल्पना ". के नाम से होगा। श्रृंखला का पहला उपग्रहMETSAT-1(METSAT-1)", भारत द्वारा12 सितम्बर 2002 को "कल्पना-1 (KALPANA-1)". के रूप में शुरू किया जाएगा "कल्पना-2 (KALPANA-2)"2007 से शुरू होने की उम्मीद है।[21]
  • न्यूयॉर्क शहर में जैक्सन हाइट्स क्वींस (Queens) के 74. स्ट्रीट के नाम को 74. स्ट्रीट कल्पना चावला का रास्ताके रूप में पुनः नामकरण किया गया है
  • टेक्सास विश्वविद्यालय के Arlington (University of Texas at Arlington) (जहाँ चावला ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर विज्ञान की डिग्री1984 में प्राप्त की) में उसके सम्मान में एक शयनागार (dormitory), कल्पना चावला हॉल, के नाम से 2004 में.[22] रखा गया
  • कल्पना चावला पुरस्कार कर्नाटक सरकार के द्वारा पुरस्कार के रूप में 2004 में युवा महिला वैज्ञानिकों के लिए[23] स्थापित किया गया
  • पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, में लड़कियों का छात्रावास कल्पना चावला के नाम पर है। इसके अतिरिक्त, INR (INR) के लिए पच्चीस हजार, एक पदक और एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र के लिए प्रमाण पत्र और पुरस्कार को स्थापित किया गया है[24]
  • नासा ने कल्पना के नाम से एक सुपर कंप्यूटर समर्पित किया है।[25]
  • फ्लोरिडा प्रौद्योगिकी संस्थान (Florida Institute of Technology) के कोलंबिया ग्राम सूट के एक 'विद्यार्थी अपार्टमेंट परिसरों, में चावला सहित प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के नाम पर हॉल है।
  • नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर मिशन सात चोटियों के श्रृंखला की हिल्स के नाम से है कोलंबिया हिल्स (Columbia Hills) के नाम पर कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्री जो कोलंबिया शटल आपदा बाद खो गया उनके नाम से चावला पहारी है, .
  • स्टीव मोर्स (Steve Morse) ने कोलंबिया त्रासदी की याद में डीप पर्पल (Deep Purple) बैंड ने एक गाना बनाया जिसे "संपर्क खोया" कहा इस एलबम पर केले = बनाना(Bananas).[26] गीत पाया जा सकता है
  • उसका भाई, संजय चावला, ने टिप्पणी की "मेरे लिए मेरी बहन मरी नहीं, है। वह अमर है। क्या ऐसा नहीं है कि एक सितारा क्या है?वह आकाश में एक स्थायी सितारा है। वह हमेशा ऊपर दिखे जायेंगे जहाँ स वह सम्बंधित है "[27]
  • उपन्यासकार पीटर दाऊद (Peter David) ने उनकी 2007 में अंतरिक्ष यात्री के बाद चावलाका नाम shuttlecraft (shuttlecraft) के रूप में दिया है, स्टार ट्रेक (Star Trek)उपन्यास स्टार ट्रेक: अगली पीढ़ी: इससे पहले अनादर.[28]
  • ज्योतिसर,कुरुक्षेत्र[29] में हरियाणा सरकार ने तारामंडल बनाया जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर् रखा गया है।

SOURCE:WIKIPEDIA